Saturday, April 25, 2009

मुझे तो अपनों ने लूटा, गैरों में कहाँ दम था !
मेरी हड्डी थी टूटी वहीँ, जहाँ अस्पताल बंद था !
मुझे जिस अम्बुलेंस में लिटाया, उसमे पेट्रोल ही कहाँ था !
मुझे तो रिक्शा में अस्पताल ले गए, क्योंकि किराया कम था !
मुझे तो डॉक्टर ने उठाया, नर्सों में कहाँ दम था !
मुझे उस बेड पर लिटाया, जिस के निचे बम था !
अजी मुझे तो बम ने उडाया, गोलियों में कहाँ दम था !
मुझे तो सड़क पर दफनाया, क्योंकि कब्रीस्तान में फंक्शन था !

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